ऐतबार है कुछ होगा
तुझे भी एक दिन
मेरे जाने का गुमा होगा
तू भी जानेगा कैसे लगता है
जब चाह कर भी प्यार ना मिले
तुझे एक दिन मेरी हालत का पता होगा
तू भी किसी को चाहेगा
पर उसे तेरे इश्क़ की क़दर ना होगी
तब तेरे लिए भी जीना एक सज़ा होगा
ये सब कहके मैं सोचती हूँ
'गर तू भी तड़पा मेरी तरह
उसमें मेरा क्या मज़ा होगा?
मेरा तो ना हो सका तू
पर तू पा ले अपनी मोहब्बत
यही मेरे मर्ज़-ए-इश्क़की दवा होगा|
Marz e ishq hona chahiye
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