Tuesday 21 March 2017

क्यूँ....

क्यू नही उस याद को
आज काट के फेंक दे
क़त्ल कर दे उसका
उसे लहूलुहान कर दे

क्यू ना उस मंज़र को
खुद से ऐसे जुदा कर दे
क्यू ना बहने दे खून को
क्यू ना आँचल को लाल करदे

क्यूँ उसे अच्छा माने
और खुद को बुरा
क्यू सब ग़लतियो की
खुद को सज़ा दे!

कुछ यादें....

कुछ यादें कभी नही जाती हैं
कुछ सपने कभी ख़त्म नही होते
कुछ लोग कभी भूले नही जाते
कुछ वादे तोड़े नही जाते
उसकी यादें राते सहलाती हैं
कुछ यादें कभी नही जाती हैं

कुछ लम्हो का बहुत मोल होता है
कुछ बाते के सहारे ज़िंदगी काट जाती है
कुछ यादें कभी नही जाती हैं!