क्यों ये मन इतना उदास है
अशांत है विचलित है
क्या ये प्रेम की अनुपस्थिति है
या बस मेरी मनोस्थिति है
क्या यह अविश्वास है विश्वास पे
या स्वयं पे
क्या ये उन उमीदों के स्व्प्ने हैं
जो पूरे ना हों सकें
या उनके फड़फड़ाते पंख हैं
जो जानते नहीं की जाना कहां है
क्या ये भूत के लिये उदास हैं
वर्तमान के लिये अशांत और
भविष्य के लिये विचलित है
क्यों ये मन इतना उदास है
अशांत है विचलित है