जब हमें इश्क़ हुआ करता था
उसका नाम सुनता ही
दिल कैसा बेचैन हुआ करता था
गए पागलपन के ज़माने वो
जब दिल में एक ही कशिश थी
तेरा दीदार ना हो तो लगता था
ये दुनिया की ही साज़िश थी
गए पागलपन के ज़माने वो
दिल गुले बाहर हुआ करता था
हर साँस में ख़ुशबू थी
हर लफ़्ज़ दुआ करता था
आज हम बड़े समझदार हैं
दुनिया को समझते हैं
अब शमा में ही आग है
ये परवाने कहाँ जलते हैं?
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