Whatever comes to mind!
Saturday 21 March 2015
तू
तेरे होने से
जैसे रूह
शद्मान हो गयी
तेरा दीदार ही मेरी इबादत
मेरी अज़ान हो गयी
तू जो गया तो
अपने साथ
इन ख्याबो को ले गया
मेरी क़िस्मत
मेरी ज़िंदगी
तेरे नाम हो गयी
ना हैरान हो
मेरी खबर-ए-फौत देख कर
आएँगे तुझसे मिलने
तेरी महफ़िल में
रूह-ए-मोहब्बत
मेरी शान हो गयी
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment