Friday 27 March 2015

आधार

एक कोपल फूटी
धरती में
गोद में
और बढ़ी
अपनी नन्ही पत्तियो के साथ
नन्हे फूल
ओस की बूंदे लिए
और फिर बना पौध
आगे बढ़ना है उसे
पेड़ बनना है
दूर जाना है
धरती से
उससे जिसके साथ बड़े हुए
खेला कूदा
पर वो बढ़ा है आसमान की ओर
उसे पाने की चाह में
रोज़ थोड़ा थोड़ा
लेकिन क्या उससे उसका प्यार
धरती के लिए कम है
उसका लगाव
धरती ने पूछा "आसमान की चाह है?..
आगे बढ़ने की इच्छा?"
पौध ने कहा "हा चाहत तो है
पर तुमसे दूर जाने की नही
तुम तो रहोगी हे ना
मेरा अस्तित्व मेरी जड़े
मेरा आधार"!

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