एक कोपल फूटी
धरती में
गोद में
और बढ़ी
अपनी नन्ही पत्तियो के साथ
नन्हे फूल
ओस की बूंदे लिए
और फिर बना पौध
आगे बढ़ना है उसे
पेड़ बनना है
दूर जाना है
धरती से
उससे जिसके साथ बड़े हुए
खेला कूदा
पर वो बढ़ा है आसमान की ओर
उसे पाने की चाह में
रोज़ थोड़ा थोड़ा
लेकिन क्या उससे उसका प्यार
धरती के लिए कम है
उसका लगाव
धरती ने पूछा "आसमान की चाह है?..
आगे बढ़ने की इच्छा?"
पौध ने कहा "हा चाहत तो है
पर तुमसे दूर जाने की नही
तुम तो रहोगी हे ना
मेरा अस्तित्व मेरी जड़े
मेरा आधार"!
wah wah (y)
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