एक सवाल पूछा मैंने
क्यूँ चाहता है
जो चाहता है
मन भी बवाला है
बोला बस जो अच्छा लगता है
वही तो माँगता हूँ
सब को ख़ुशी दे कर
प्यार दे कर
मन का बाग़ भी भरना चाहता हूँ
फिर क्यूँ नहीं आती सुबह
फिर क्यूँ नहीं जागता ईमान है
लाखों दवाख़ाने हैं मेरे चारों ओर
फिर भी ये मन क्यूँ बीमार है
आदत सी है डूब जाने की
बर्बादियो के जाम में
कोई उनका ज़िक्र करे तो हम इबादत करें
भूल गए कौन वो
अल्लाह है राम है ।।
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