Thursday 8 September 2016

टूटे दिल से.....

कभी पूछते हैं अपने आप से
कि तुझे पाना भी चाहतें हैं 
या इस टूटे दिल से लगाव हो गया है?

तेरे बारे में ही सोचना 
उन पलों को बेहिसाब जीना 
ग़म में मुस्कुरा के 
ये क़लम उठा लेना 
और मन में सोचना
कि शायद तू भी पढ़ रहा है 
मेरे ज़ख़्मों पे हंस रहा है 
उन दर्दों में तू भी दर्द सह रहा है 
फिर पूछते हैं तुझसे 
कही टूटे दिल से लगाव हो गया है?

वो तेरे इश्क़ का पागलपन
वो तेरी ना में भी छुपा प्यार 
वो कभी मेरे बारे में सोचना 
वो मान लेना ये जीत है ना हार
क्यूँ लेते हैं मज़ा ऐसे क़िस्सों में
इसीलिए ख़ुद से पूछते हैं
क्या इस टूटे दिल से लगाव हो गया है?

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