तेरे मुख की आभा
तेरी सुंदरता का प्रतीक है
ये मन मैंने तुझसे लगाया है
तू ही मेरा मीत है
तेरे बिना और कोई ना
बस तू ही मेरे समीप है
तेरे प्यार ने दी है ये कैसी शक्ति
अब तेरा प्रेमी भी अभीक है
तेरे बिना हर एक पल
बेकरी में व्यतीत है
तू ना आए तो हार मेरी
तेरे साथ में ही जीत है
No comments:
Post a Comment