Sunday 3 July 2016

जज़्बात

जब जज़्बातों में उबाल आता है 
लफ़्ज़ों का जैसे जाल सा बन जाता है 
कलम जैसे रूकती नहीं काग़ज़ पर 
लिखते लिखते दिल का हाल बयान हो जाता है

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