Ijazat ho agar Teri to fir ik baat main poochu...
Jo mjhse ishq seekha tha WO Ab tum kisse kartey ho...
उसके अंदर
वो मुझे भी सिखा गया
बस एक जवाब देदो
जो मुझमें इतना प्यार जगाया
उसका क्या करूँ
अरसलान अहमद -
बहोत अंदर तक तबाही मचा देता है,
वो एक अश्क़ जो बह नहीं पाता।।
प्रज्ञा जैन -
अश्क़ भी बहायें बहुत हैं तेरे लिए
पर इस बार दिल पे ऐसी चोट लगी है
की अशको का मरहम भी काफ़ी नही
Bahut din se in aankhon ko yahi samjha raha hun main...
Ye duniya hai yahan to ik tamasha roz hota hai.....!!
प्रज्ञा जैन -
उन हज़ारों तमाशों में एक तमाशा हमारा भी
बच गए कि तेरी याद में बस जनाज़ा नही उठा
अरसलान अहमद -
Wo Bewafa Hi Sahi, Us Pe Tohmatein Kaisi?
Zara Si Baat Pe Itna Fasaad Kya Karna?
प्रज्ञा जैन -
बात तो बड़ी है
शायद उनके लिए आसान हो
मेरी बात और है मैंने तो मोहब्बत की है।
~एक बेहतरीन शायर अरसलान के साथ लिखे कुछ शेर
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