Sunday 26 April 2015

ख़्वाब

कुछ अनकही सी बातें
जैसे सुन ली हों तुमने
और जैसे मेरे विचार
पढ लिए हों
ना जाने क्यूं
और
उन खयालों में
तुम भी जानते हो
तुम्हारे हीे सपने हैं
और उनके हक़ीक़त बनने
की चाह
और जबआँखें भरी हो
कल के सपनो से
तो नींद जैसे कोसों दूर चली जाये
और याद रहे वो आज
जो तेरे साथ है
और वो सुनहरा कल
जो तेरे साथ होगा

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