तेरे शहर में सोने के भी जाने क्या मायने हैं
जहाँ आँखें बंद भी कर लें
पर सकूँ नहीं मिलता...।।
जहाँ आँखें बंद भी कर लें
पर सकूँ नहीं मिलता...।।
Arsalan Ahmad सो गयीं शहर की सारी सड़कें...
एक आवारा मगर बाकी है...
एक आवारा मगर बाकी है...
Pragya Jain तुम कहते तो ये अवारगी भी छोड़ देते,
पर ये कम्बख़्त पैर रूकने का नाम भी तो नहीं लेते
पर ये कम्बख़्त पैर रूकने का नाम भी तो नहीं लेते
Arsalan Ahmad मुहब्बत को लाज़िम है आवारगी भी,
नहीं इश्क़ करता असर बैठे बैठे ।।।
नहीं इश्क़ करता असर बैठे बैठे ।।।
Pragya Jain ये इश्क़ अपने साथ हमारी नींद भी ले गया
जो ये राते हम सड़कों पे गुज़ारने लगे
तो लोगों ने हमें नाम आवारा दे दिया ।।
जो ये राते हम सड़कों पे गुज़ारने लगे
तो लोगों ने हमें नाम आवारा दे दिया ।।
Arsalan Ahmad Mai hu agar Aawaaraa to wajah hai husn tumhara...
Aisa hrgiz nhi tha mai tere didar se pehle..
Aisa hrgiz nhi tha mai tere didar se pehle..
Pragya Jain तू है अगर आवारा तो मैं क्या अलग हूँ?
तभी तो इस हुस्न ने तेरे इश्क़ की इबादत की है..।।
तभी तो इस हुस्न ने तेरे इश्क़ की इबादत की है..।।
Arsalan Ahmad हुस्न की इश्क से जब जब बात होती है
महफिल में उनकी बात से हर बात होती है।
वह कहते रहे कोई बात नहीं हम दोनों में
पर उनकी कहानी से नई शुरूआत होती है।।
महफिल में उनकी बात से हर बात होती है।
वह कहते रहे कोई बात नहीं हम दोनों में
पर उनकी कहानी से नई शुरूआत होती है।।
Pragya Jain उन आधी अधूरी कहानियो से
हम इतना डर चुके हैं कि
जब कहानी पूरी भी होने आई,
लफ़ज़ो ने ही दगा दे दिया!
हम इतना डर चुके हैं कि
जब कहानी पूरी भी होने आई,
लफ़ज़ो ने ही दगा दे दिया!
Arsalan Ahmad na tujhko hui khabar, na zamana samajh saka...
hum chupke chupke tujhpe kai baar mar gaye...
hum chupke chupke tujhpe kai baar mar gaye...
Pragya Jain तेरे हर आह की मैने भी खबर रक्खी हैं
उस हर आह को आँसू से चुकाया है
उस हर आह को आँसू से चुकाया है
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ReplyDeleteमकाम फैज़ कोई राह मे जचा ही नही
ReplyDeleteजो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले
Jo humpe guzri so guzri
ReplyDeleteMagar sab-e-hijraan...
Humaare ashq teri aaqibat sanwaar chale...
Chale bhi aao ke gulshan ka kaarobaar chale..