Tuesday 30 December 2014

पल भर की मुलाकात

वो हमारी बात
तुम्हारी खनकती आवाज़
जॅेसे की हो सदियों के बाद मुलाकात
वो तेरी आवाज़।

तेरे होठों से निकले  वो शब्द
जॆसे कर दें मुझे स्तब्ध
शब्दों के बीच लगाए वो विराम
जॆसे करना चाहते हो कोई ऎलान।

उन विरामो के बीच बहुत सी कहानियां हैं
जिसने बिना कुछ कहे, कुछ सुना दिया हैं
उस आवाज़ में  तेरी जेसे कोई जहर हैं
असर हे तेरा मुझपे, शाम या सहर हैं।

वो चन्द घडियो का आमना सामना
जॆसे छुपे हों राज कई इनमें
कुछ कही कुछ अनकही सी बातें
सॆकडो रातें अनगिनत यादें।

मेने भी तुमसे  कुछ ना कहा
ना रोका ना टोका ना रुकने को कहा
हमने तो बस लम्हो से कहा, रुको
ये मजा मुझे, हॊले हॊले चखने दो।

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