वो कहते हैं भूल जाऊँ तुम्हे 
कहते हैं की तुम सिर्फ आदत हों 
सिर्फ मेरी दिन चर्या का हिस्सा थे 
तो क्यूं ना भूल जाऊँ तुम्हे 
पर कैसे समझाऊं कि तुम क्या हों 
तुम मेरी आदत नहीँ मेर जीवन हों 
दिनचर्या नहीँ मेर नज़रिया हों 
ये बेह्ती हवा जैस तेरा ही संदेश है 
ये पेड़ों के पत्ते जैसे तेरे गीत गाते हों 
जैसे मेरी सोच मेरी नहीँ तेरी हों 
वो हर सवाल जिसका जवाब कल ना था
आज तू दे रहा है 
मेरे अस्तित्व और जीवन की ऎ परिभाषा 
कैसे बताऊँ इन्हें की नहीँ भूल सकती तुम्हे 
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