जहा सपनो का संसार होगा
जहा दोपहर के बाद शाम का समाँ होगा
जहा अपना ईमान अपना खुदा होगा
जब धरती के आँचल से कोपले फूटेंगी
जब नादिया समंदर से अपना रिश्ता गूँथेगी
जब सच्चाई और ईमानदारी पे संसार चले
जब हर चीज़ का आधार प्यार बने
जहाँ किसान और व्यापारी में कोई फ़र्क ना हो
जहाँ अधर्मियो का बोल बाला ना हो
ऐसे ही संसार की आशा रखते हैं हम
हटे सब अहंकार और सारे गम
जहाँ अधर्मियो का बोल बाला ना हो
ऐसे ही संसार की आशा रखते हैं हम
हटे सब अहंकार और सारे गम
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