प्रेमलोक के प्रत्येक दिवस का
तू नूतन है तू अभिनव
प्रत्यक्ष नहीं समक्ष नहीं पर
मन कर देता है आरव
तू नूतन है तू अभिनव
प्रत्यक्ष नहीं समक्ष नहीं पर
मन कर देता है आरव
क्या खोजें हम शब्दकोश में
क्या हम तुझको नाम दें
मन सरिता के तुम्हीं गीत हो
आगे सब विश्राम है
क्या हम तुझको नाम दें
मन सरिता के तुम्हीं गीत हो
आगे सब विश्राम है
भिन्न हूँ तुमसे चाहे जितना
चाहे हूँ तुमसे अलग
प्रेम है ये प्रतिबिम्ब तुम्हारा
चलू साथ अब मैं पग पग
चाहे हूँ तुमसे अलग
प्रेम है ये प्रतिबिम्ब तुम्हारा
चलू साथ अब मैं पग पग
आ जाओ जीवन में अब तुम
करदो अब इसको परिपूर्ण
फ़िर से नाचे प्रेम गीत पर
फ़िर से जायें हम झूम ।
Really nice poem...it shows the feeling of one who has not touched by love...
ReplyDeleteNot touched by love? or touched by love?
Deleteआ जाओ जीवन में अब तुम
ReplyDeleteकरदो अब इसको परिपूर्ण
फ़िर से नाचे प्रेम गीत पर
फ़िर से जायें हम झूम ।
i think these words r for one who has not touched by the feeling of love and even asking for love...
ah okay
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