Saturday 19 July 2014

प्रेम गीत

प्रेमलोक के प्रत्येक दिवस का
तू नूतन है तू अभिनव
प्रत्यक्ष नहीं समक्ष नहीं पर
मन कर देता है आरव

क्या खोजें हम शब्दकोश में
क्या हम तुझको नाम दें
मन सरिता के तुम्हीं गीत हो
आगे सब विश्राम है

भिन्न हूँ तुमसे चाहे जितना
चाहे हूँ तुमसे अलग
प्रेम है ये प्रतिबिम्ब तुम्हारा
चलू साथ अब मैं पग पग

आ जाओ जीवन में अब तुम 
करदो अब इसको परिपूर्ण 
फ़िर से नाचे प्रेम गीत पर 
फ़िर से जायें हम झूम ।

4 comments:

  1. Really nice poem...it shows the feeling of one who has not touched by love...

    ReplyDelete
    Replies
    1. Not touched by love? or touched by love?

      Delete
  2. आ जाओ जीवन में अब तुम
    करदो अब इसको परिपूर्ण
    फ़िर से नाचे प्रेम गीत पर
    फ़िर से जायें हम झूम ।

    i think these words r for one who has not touched by the feeling of love and even asking for love...

    ReplyDelete