Sunday 6 November 2016

पूछ लो...


अपनी परछाइयों से आज पूछ लो 
ये जिस्म की क्या सच्चाई है
कल दफ़्न है जिसने होना 
उससे क्यूँ तूने नीयत लगायी है 

आइने में दिखते उस अक्स से पूछ लो
इस ख़ूबसूरती की क्या क़ीमत लगायी है
आज तुझे पाना है जिसे 
कल हिजाब में वही सूरत छुपाई है

नींद में बड़बड़ाते उन वादों से पूछ लो
यहाँ सच बोलने की मनाही है 
ना खेलो इतना भी ना मुझसे
तुझे बस खुदाई की दुहाई है ।


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