Saturday 5 November 2016

झूठी थी...

वो तेरे इश्क़ के फरमान झूठे थे
वो बेवफ़ाई के इनकार झूठे थे
वो दुनिया को सुनाए फसाने  झूठे थे
वो बीत गये जो रोते-हस्ते वो ज़माने झूठे थे

वो कहते हैं कि इश्क़ की रूह मे सच्ची इबाब्दात है
जो सबसे उपर महबूब को रखे, वही सच्ची मोहब्बत है
पर तेरे लिए मुझसे बढ़ कर तेरी खुदाई थी
तुझे उसके लिए मंज़ूर मेरी जुदाई थी

वो तेरे इश्क़ का रूप झूठा था
मेरे आने से दिखता तेरे चेहरे का नूर झूठा था
वो तेरे इश्क़ का जुनून झूठा था
वो सुकून झूठा था

वो इश्क़ की आतिज़्बाज़ी मे
हम झूम-२ के कहते थे
बस रूप तेरा हे सच्चा है
बस इश्क़ तेरा हे सच्चा है
वो तेरे इश्क़ मे दिखती रहनूमाई झूठी थी
वो तेरी सच्चाई झूठी थी
और मेरा इश्क़ भी तेरा अक्स-ए-मोहब्बत था
तो मेरे इश्क़ की सच्चाई
क्या वो भी झूठी थी...??

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