इक समय की बात है
जैसे तू मेरे साथ था
और चुप रह के भी
करता कोई बात था
जैसे आँखें पढ़ लेती थी
दिल के अरमान सभी
तुझे देखकर पलकें उठातीं
तो झुकाती थीं कभी
तेरे जाने के बाद
जैसे समां थम सा गया
तू गया तो अपने साथ
मेरे सपनों के ले गया
गया तू वहां
जहाँ से लौट ना सके
जैसे वो फल ही तोड़ लिया हो
इससे पहले को वो पके
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