उस सूरज को देखा आज गौर से
तड़प रहा है किसी के लिए
जल रहा है किसी अग्नि में
ऐसी आग जिसे कोई बुझा नही सकता
क्या ये क्रोध है किसी के जाने का
याउदासी है किसी की अनुपस्थिति की
क्यू भस्म में इसमे सारा जहाँ
फिर भी दे रहा है रोशनी उस जलन से
जल रहा है स्वयं और जीवन भी दे रहा है
No comments:
Post a Comment