जल से परिपूर्ण है
पर क्या यह तृप्त है
संतुष्ट है?
फैला है चहु दिशाओ में
किया है स्पर्श इस धरती को
नादिया भी आती है
दौड़ती भागती
धरती का कोनो को छुते हुए
सागर से मिलने
किन्तु सागर अचल है
मिलता है नादिया से
दिखता शांत है..पर क्या सच में?
क्या अंदर इक तूफान है?
हे सागर क्या है तेरी गहराईयो में
उन अंधेरो में
ना जाने वहाँ जीवन है या नही
या है सूनेपन का सन्नाटा
अधभूत!!
ReplyDeleteधन्यवाद
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