उस कठोर चेहरे के पीछे
हृदय तुम्हारा देखा है
प्रेम भरा है इतना उसमें
जिसकी ना कोइ सीमा है
हृदय तुम्हारा देखा है
प्रेम भरा है इतना उसमें
जिसकी ना कोइ सीमा है
सागर से इस मुख के पीछे
ये कैसा तूफ़ान है
अंदर लेहरें उठती चढती
बाहर लगता शांत हैं
ये कैसा तूफ़ान है
अंदर लेहरें उठती चढती
बाहर लगता शांत हैं
आओ ना बतलाओ मुझको
कैसी ये परछाई में
क्या है ये अंतर मे तेरे
कैसी ये तन्हाई है
जानू ना मैं कैसे तेरा
प्यार असीम पाया है
पुलकित हूँ इस प्रेम तरंग में
तू ही तू बस छाया है
कैसी ये परछाई में
क्या है ये अंतर मे तेरे
कैसी ये तन्हाई है
जानू ना मैं कैसे तेरा
प्यार असीम पाया है
पुलकित हूँ इस प्रेम तरंग में
तू ही तू बस छाया है
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