Whatever comes to mind!
Tuesday 21 March 2017
क्यूँ....
क्यू नही उस याद को
आज काट के फेंक दे
क़त्ल कर दे उसका
उसे लहूलुहान कर दे
क्यू ना उस मंज़र को
खुद से ऐसे जुदा कर दे
क्यू ना बहने दे खून को
क्यू ना आँचल को लाल करदे
क्यूँ उसे अच्छा माने
और खुद को बुरा
क्यू सब ग़लतियो की
खुद को सज़ा दे!
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