आज ख़ाली सी
अकेली रात में
एक ख़याल आया तेरा
सोचा एक ख़त में लिख डालें
प्यार ये जज़्बात
क्यूँ चाहते हैं तुझे
कहदें अपने हालात
फिर चुन लेना तुम
वो चमचमाते महल
और वो आतिशबाज़ी
या फिर ये छोटा सा घर
और हमारी इश्कसाजी
मौक़े तो मिले हैं तुम्हें भी
और मिलते रहेंगे
तेरे हुस्न की इबादत में आशिक़ मिलते रहेंगे
हम भी जलाए रखेंगे अपने इश्क़ का चिराग़
तू जाए भी तो ग़म ना करना
हम अपने अरमानो की फटी चादर सिलते रहेंगे!
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