Saturday 20 August 2016

अरमान

आज ख़ाली सी 
अकेली रात में
एक ख़याल आया तेरा
सोचा एक ख़त में लिख डालें
प्यार ये जज़्बात 
क्यूँ चाहते हैं तुझे
कहदें अपने हालात 
फिर चुन लेना तुम 
वो चमचमाते महल 
और वो आतिशबाज़ी
या फिर ये छोटा सा घर
और हमारी इश्कसाजी
मौक़े तो मिले हैं तुम्हें भी 
और मिलते रहेंगे 
तेरे हुस्न की इबादत में आशिक़ मिलते रहेंगे 
हम भी जलाए रखेंगे अपने इश्क़ का चिराग़ 
तू जाए भी तो ग़म ना करना 
हम अपने अरमानो की फटी चादर सिलते रहेंगे!

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