Whatever comes to mind!
Sunday, 10 April 2016
लफ़्ज़
चार लफ़्ज़
जो कहे थे मैंने
मैं ही भूल गयी ना
उन वादों की अहमियत
पर तुम कैसे भूलें
क्यूँ जाने दिया मुझे
सब जानते हुए
मुझे जानते हुए
इसलिए क्यूँकि
वो चार लफ़्ज़
मैंने कहे थे?
तुमने नहीं?
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