Tuesday, 18 August 2015

इक समय की बात है

इक समय की बात है
जैसे तू मेरे साथ था
और चुप रह के भी
करता कोई बात था

जैसे आँखें पढ़ लेती थी
दिल के अरमान सभी
तुझे देखकर पलकें उठातीं
तो झुकाती थीं कभी

तेरे जाने के बाद
जैसे समां थम सा गया
तू गया तो अपने साथ
मेरे सपनों के ले गया

गया तू वहां
जहाँ से लौट ना सके
जैसे वो फल ही तोड़ लिया हो
इससे पहले को वो पके

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